A $ilverLining...
सांयें की तरह चलकर उनके साथ.. हम अपने आप को गवां बेठे /
और फिर उस भुजती हुई लौ को तूफां से बचने की खातिर हम अपने ही हाथ जला बेठे //
न जाने ये कब हुआ हमें तो पता ही न चला .
हम तो गेरो को पाने की खातिर अपनो को भुला बेठे //
अब इनायत होती !! गर वो पास आकर सीने से लगाते .
उससे तो पहले हम गम-ए-इंतजार में अपने ज़ख्मो को नासूर बना बेठे /
"अबाध्य " तो वाकिफ था उनके इन रीवाजो से पहले ही .
तभी तो हम भी अपने दिल-ए-आशियाँ पत्थरों का बना बेठे //
सांयें की तरह चलकर उनके साथ.. हम अपने आप को गवां बेठे /
और फिर उस भुजती हुई लौ को तूफां से बचने की खातिर हम अपने ही हाथ जला बेठे //
न जाने ये कब हुआ हमें तो पता ही न चला .
हम तो गेरो को पाने की खातिर अपनो को भुला बेठे //
अब इनायत होती !! गर वो पास आकर सीने से लगाते .
उससे तो पहले हम गम-ए-इंतजार में अपने ज़ख्मो को नासूर बना बेठे /
"अबाध्य " तो वाकिफ था उनके इन रीवाजो से पहले ही .
तभी तो हम भी अपने दिल-ए-आशियाँ पत्थरों का बना बेठे //
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